चलो अब खड़ा हो लो अपने कदमों पर,
पापा के सहारे तो सब खड़ा होते हैं।
कब तक लोगे उनका सहारा ,
वो भी अब सहारा चाहते है ।
इस कदर सहारा बनो उनका की,
बुढ़ापे में झुकने की नौबत ना आए ।
खड़ा हो लो अपने कदमों पर ,
इस कदर की दूसरे के ओर मुरने की नौबत... – by Nishant Prakhar | 1 View added 1 year ago
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राह के पथिक ।
राह के पथिक हैं ,हम
सच्चाई से नहीं कतराते हैं ।
राह पर फूलों से नहीं ,
पत्थर का सामना करके आते हैं।
नदियां पहाड़ के जटिल रास्ते से,
हम नहीं इतराते हैं।
पीठ पीछे बोली गई,
बुराई से हम नहीं घबराते हैं ।
धूप ,बारिश की झक... – by Nishant prakhar | 1 View added 1 year ago
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चलो अब खड़ा हो लो अपने कदमों पर,
पापा के सहारे तो सब खड़ा होते हैं।
कब तक लोगे उनका सहारा ,
वो भी अब सहारा चाहते है ।
इस कदर सहारा बनो उनका की,
बुढ़ापे में झुकने की नौबत ना आए ।
खड़ा हो लो अपने कदमों पर ,
इस कदर की दूसरे के ओर मुरने की नौबत... – by Nishant prakhar | 1 View added 1 year ago
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*बेटीयाँ की आवाज बचा लो हमें इन दरिंदों से।*
खुशियों से झूम नहीं पाता हूँ,
इन दरिंदों से बचा लो, हमें
बहार में अकेले घूम नहीं पाता हूँ,
इन दरिंदों के कारण ।
हमें भी देखनी है ये दुनिया ,
दिखानी है ,ताकत हमें ।
हम बेटियों को बचा लो... – by Nishant prakhar | 1 View added 1 year ago
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*बेटियों की आवाज बचो लो हमें इन दरिंदों से।*
खुशियों से झूम नहीं पाता हूँ,
इन दरिंदों से बचा लो, हमें
बहार में अकेले घूम नहीं पाता हूँ,
इन दरिंदों के कारण ।
हमें भी देखनी है ये दुनिया ,
दिखानी है ,ताकत हमें ।
हम बेटियों को बचा लो , ... – by Nishant prakhar | 1 View added 1 year ago
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Serious to clean .
why you take serious,
so you gone curious.
To clean environment,
so you got enjoyment .
you have to clean ,
Trough the waste in dustbin.
you take it serious,
That’s why you gone mysterious.
change the environment... – by Nishant prakhar | 6 Views added 1 year ago
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कलयुग का परिचय
कलयुग के दुष्प्रभावों से तुम नहीं बच पाओगे,
तुम मनुष्य जीवन नहीं जी पाओगे।
तुम अपने कर्मों से �
ांत नहीं रह पाओगे,
कलयुग के दुष्प्रभावों से तुम मनुष्य जीवन नहीं जी पाओगे।
छोटे – बड़ों को पहचानो तुम,
तब तुम समाज के नजरों... – by Nishant prakhar | 1 View added 1 year ago
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कलयुग का परिचय
कलयुग के दुष्प्रभावों से तुम नहीं बच पाओगे,
तुम मनुष्य जीवन नहीं जी पाओगे।
तुम अपने कर्मों से शांत नहीं रह पाओगे,
कलयुग के दुष्प्रभावों से तुम मनुष्य जीवन नहीं जी पाओगे।
छोटे – बड़ों को पहचानो तुम,
तब तुम समाज के नजरों... – by Nishant prakhar | 3 Views added 1 year ago
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है समय का पहिया जब चलता ।
कष्ट रूपी धुलो को है को उड़ात चलता।
जिसने भी हुआ सवार इस पर ,
उसने किया कष्टों को पार ।
जब समय का हो गया समय ।
सब करने लगे हड़बड़ी ,
तब सब करने लगे प्रतिक्षा ,
लोग लेने लगे प्रतिज्ञा ।
समय के साथ करना चाहिए ।
... – by Nishant prakhar | 4 Views added 1 year ago
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है समय का पहिया जब चलता ।
कष्ट रूपी धुलो को है को उड़ात चलता।
जिसने भी हुआ सवार इस पर ,
उसने किया कष्टों को पार ।
जब समय का हो गया समय ।
सब करने लगे हड़बड़ी ,
तब सब करने लगे प्रतिक्षा ,
लोग लेने लगे प्रतिज्ञा ।
समय के साथ करना चाहिए ।
... – by Nishant prakhar | 3 Views added 1 year ago
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चपके सा था मासुम सा था ,
वह पहला दिन था हमारा ।
कक्षा नवम् में खोया सा था ,
पाना तो था उच्च शिक्षा ।
आज ना कल तो आना ही था,
हमें कक्षा नवम् में।
चलों गरमी की छुट्टी के पहले ही सही ,
पर आखीर आ ही गये ।
हम कक्षा नवम् में ,
कक्षा की... – by Nishant prakhar | 10 Views added 1 year ago
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स्वर्ग – सा था ,
सुन्दर तो बहुत था ।
बचपन का अपना घर,
माँ का वो आँचल ही तो था ।
कूलर-सा था,
कोमल तो बहुत था ।
गर्मी का पंखा सा था ,
माँ का वो आँचल ही तो था ।
धूप में छाँव सा था,
ठंडक तो बहुत था।
धूप का छाता था,
माँ का वो आँचल ही तो था... – by Nishant Prakhar | 1 View added 1 year ago
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माँ का आँचल
स्वर्ग – सा था ,
सुन्दर तो बहुत था ।
बचपन का अपना घर,
माँ का वो आँचल ही तो था ।
कूलर-सा था,
कोमल तो बहुत था ।
गर्मी का पंखा सा था ,
माँ का वो आँचल ही तो था ।
धूप में छाँव सा था,
ठंडक तो बहुत था।
धूप का छाता था,
माँ का... – by Nishant prakhar | 4 Views added 1 year ago
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चिलचिलाती धूप
ये धूप है बहारों की ,
ये किरणें है हजारों का ।
ये मौसम है चिलचिलाती ,
यहाँ हवा है खिलखिलाती ।
गर्मी का हुआ आगमन ,
तापमान तो बढ़ता गया ।
धूपों की निकली टोली,
बच्चों में हुई पानी की होली।
आग सा ये हवा ,
भगा गया पानी को ।
... – by Nishant prakhar | 7 Views added 1 year ago
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चिलचिलाती धूप
ये धूप है बहारों की ,
ये किरणें है हजारों का ।
ये मौसम है चिलचिलाती ,
यहाँ हवा है खिलखिलाती ।
गर्मी का हुआ आगमन ,
तापमान तो बढ़ता गया ।
धूपों की निकली टोली,
बच्चों में हुई पानी की होली।
आग सा ये हवा ,
भगा गया पानी को ।... – by चिलचिलाती धूप | 0 Views added 1 year ago
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