गुमनाम लड़की के कुछ अल्फा
अर्पिता सिंह 1995 (भारत)
ये काली स्याह अंधेरी रात
वो लड़की चमकीला आंखों वाली
अपने जज्बातों को अल्फाजों में पिरोने में माहिर
पर अब वो सिर्फ खुद से ही बातें करती है
अचानक सबकुछ बदल गया
कभी उसके तहरीरो को
लोग गौर से सुनते सराहते
अचानक पहुंची वहां
जहां उसकी हर तहरीर
जिसमें उसके गले जज्बातों का जिक्र रहता
उसके एहसासों का जिक्र रहता
यहां गलती से भी किसी के सामने बयां हो जाता
वो लोगों के लिए मजाक ही रहता
धीरे धीरे उसने भी
अब छोड़ दिया कुछ कहना
सिर्फ अपने जज्बातों के गुबार को
डायरी में कैद कर देती है
वो अंधेरी रातों में
सन्नाटो से बातें करती लड़की
वो अकेली चमकीली आंखों वाली लड़की
वो गुमशुम सी लड़की
जिसके लिए इस दुनिया में सिर्फ धोखा है
जिसको हर मोड़ पर तोड़ा जाता है
वो अपने सपनों के करीब पहुंचे
उसके सपने को आग लगा दिया जाता है
क्यूं
वो नहीं जानती
वो गुमशुम सी अंधेरी रातों से बातें करती लड़की
वो जाने कैसे आज भी दुनिया में है
उसका वजूद भी है
लेकिन थोड़ी बदली बदली सी है
खुद को ही खुद में कहीं ढूंढती वो लड़की
चहकने की जगह खामोश
बेवजह बेपरवाह हंसने वाली
अब एक मुस्कराहट के लिए भी वजह तलाशती लड़की
तकलीफ आंखों में पानी बनके उतरे
उससे पहले पलकों के पीछे कैद करती लड़की
वो चमकीली आंखों वाली लड़की ।
वो गुमशुम सी खुद में खोयी खोयी लड़की
दिल के किसी कोने को खण्डहर में
तब्दील कर
उसमें अपने जज्बातों को दफन करती
वो बर्फ ही लड़की
जिसके चेहरे के चमक का राज
कभी लोग पूछा करते थे
अब वो मुरझाई सी लड़की
जो अब समझ पाती हकीकत से वो कभी वाकिफ
ही नहीं थी
पर अब वाकिफ है
वो जान गती
जिंदगी हो या रिश्ता जज्बातों से नहीं
जरूरतों से चलता है
अब असल हकीकत से वाकिफ
वो बर्फ ही लड़की
वो गुमशुम सी गोरी सी
अंधेरी रातों में अपने जज्बातों को
डायरी के पन्नों में कैद करती लड़की।
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Written on March 12, 1996
Submitted by drarpitasingh8174829199 on March 09, 2022
Modified on March 05, 2023
- 1:38 min read
- 8 Views
Quick analysis:
Scheme | |
---|---|
Characters | 3,943 |
Words | 329 |
Stanzas | 1 |
Stanza Lengths | 57 |
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"गुमनाम लड़की के कुछ अल्फा" Poetry.com. STANDS4 LLC, 2024. Web. 8 Jun 2024. <https://www.poetry.com/poem/122228/गुमनाम-लड़की-के-कुछ-अल्फा>.
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