Analysis of Justification
आज तन्हाई में बैठने का ये अजीब असर हुआ
आज एक बार फिर हमारी खामोशियों का कानों पे कहर हुआ,
दिल बार बार हमसे बस एक ही सवाल करते
अच्छा होता ना काश हम लड़के होते,
यहां कक्षा बदलने पर स्कर्ट से शूट तक का रिवाज़ चलता है
वो यूनिफॉर्म में आए या ना भी आए सब चलता है,
ना जाने क्यों हमारा सब कुछ उनसे जोड़ा जाता है
ज़िन्दगी हम जीते हैं पर हक़ उनका समझा जाता है,
स्कर्ट की length से हम character तय कर लेते हैं
क्यों नहीं समझते कि क़त्ल तो एक बुर्क़े का भी होता है,
क्यूं मोमबत्तियां तभी जलती है जब हमारा दर्द अपनी हदें पार करता है
रक्त पूछता है हमारा क्यूं तुम्हे जगाने के लिए हमें बहना पड़ता है,
कुछ रिवाजें, कुछ रिवायतें इस दुनिया की कहां बदलती है
ये तो दस्तूर है, लोगो को अपनी बहन सिर पे और दुसरो की बिस्तर पर ही अच्छी लगती है,
हमारी आवाज़ें बंधती है गिरती है लड़खड़ाती है
फिर जुटा कर हिम्मत खामोशी से बस एक सवाल करती है,
क्या ग़लती थी मेरी बस इतना बता दो
मैं अगर हर्फ-ए गलत हूं तो बेशक सजा दो,
जवाब मिलने पर एक बार फिर सहम जाती है
वो कहते हैं तालियां एक हाथ से नहीं बजती है,
कितने गलत हैं ये लोग
आखिर कैसे दूर करेंगे हम इनका रोग,
आखिर क्यूं ये दुनिया उन्हें इतना पूजती है
जो ये तक नहीं जानते तालियां तब बजती है जब कोई खुशी गूंजती है,
बेशक दो हाथ के मिलने से ही तालियों में शोर होता है
मगर जब थप्पड़ पड़ता है तो कोई एक जरूर कमजोर होता है,
कुछ ऐसे ही लोग है खुद को खुदा माने
जो तालियों और थप्पड़ का फर्क भी ना जाने,
गलत आप नहीं है गलती तो हमसे हुई है
काश हमने हैवान को हैवान समझा होता,
दे तो देते हैं यूं ही देवी का दर्ज़ा
पर कभी तो हमें जागीर नहीं इंसान समझा होता,
हां नहीं कहते की बेकसूर सिर्फ हम है
शायद हमारा दर्द भी कुछ लोगों के दर्द से कम है,
बेशर्म, बेहया, बच्चलन भले हमें कह लो
पर तेज़ाब की जलन कभी तुम भी तो महसूस करो,
अंतर देख के ही पर हमारा इन्साफ करो
और गर गलत है हम तो ना हमें माफ करो,
पर जब हम दोनों इंसान है तो फिर ये भेदभाव ना करो
इल्तज़ा बस इतनी सी है कि मरने से पहले हमें ना मारो,,
Scheme | A |
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Poetic Form | Tetractys (40%) |
Metre | 1 1 1 1 1 1 1 1 1100 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 |
Characters | 4,492 |
Words | 418 |
Sentences | 1 |
Stanzas | 1 |
Stanza Lengths | 40 |
Lines Amount | 40 |
Letters per line (avg) | 0 |
Words per line (avg) | 10 |
Letters per stanza (avg) | 15 |
Words per stanza (avg) | 399 |
About this poem
About the mentality of people about girls and mainly what a girl want to tell to the society
Font size:
Written on October 30, 2022
Submitted by aakarsharanjan0236 on October 30, 2022
Modified on March 05, 2023
- 2:05 min read
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Style:MLAChicagoAPA
"Justification" Poetry.com. STANDS4 LLC, 2024. Web. 25 Jun 2024. <https://www.poetry.com/poem-analysis/143029/justification>.
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