Shashikant Nishant Sharma 'साहिल'

ख्वाबों में जीने वालों की यही कहानी

Poet's PageBiographyPoemsQuotationsCommentsStatsE-BooksMessage to the poetUrban Planner and Consultant by profession. Poet and prolific writer by passion and hobby. For reading more of my poems/articles you can visit wwww.sureshotpost.blogspot.com and www.catchmypost.com/shashikantnishantsharmaBest…






किसने है ख्वाबों को पकरा
मन के पंछी को न कोई पिजरा
ख्यालों के उन्मुक्त गगन में
इस छोटे से जीवन में
कितने ख्वाब मन बुन रहा है
कितने प्रीतम मन चुन रहा है
तक रहा चकोर मन चाँद की रह
बयाँ भी तो कैसे करे अपने मन की चाह
देख रहा नयन नित नए स्वप्न
कभी ख्याल कभी उलझन में है मन
एक ख्वाब टूटे और बिखर गए
तो सौ नए स्वपन जन्म लिए
ज्यों चाँद छुपा और तारें निकल आये
एक का मन हमें मिला
सौ को अपना अर्पण किये
ख्याल के समयाने में
हर शाम नयी महफ़िल सजी
'साहिल' के तराने पे
गीत के दिल में नयी सज बजी
हर गम आपना और हर ख़ुशी अपनी
ख्वाबों में जीने वालों की यही कहानी
शशिकांत निशांत शर्मा 'साहिल'

© Poetry.com