Analysis of ख्वाबों में जीने वालों की यही कहानी
किसने है ख्वाबों को पकरा
मन के पंछी को न कोई पिजरा
ख्यालों के उन्मुक्त गगन में
इस छोटे से जीवन में
कितने ख्वाब मन बुन रहा है
कितने प्रीतम मन चुन रहा है
तक रहा चकोर मन चाँद की रह
बयाँ भी तो कैसे करे अपने मन की चाह
देख रहा नयन नित नए स्वप्न
कभी ख्याल कभी उलझन में है मन
एक ख्वाब टूटे और बिखर गए
तो सौ नए स्वपन जन्म लिए
ज्यों चाँद छुपा और तारें निकल आये
एक का मन हमें मिला
सौ को अपना अर्पण किये
ख्याल के समयाने में
हर शाम नयी महफ़िल सजी
'साहिल' के तराने पे
गीत के दिल में नयी सज बजी
हर गम आपना और हर ख़ुशी अपनी
ख्वाबों में जीने वालों की यही कहानी
शशिकांत निशांत शर्मा 'साहिल'
Scheme | |
---|---|
Poetic Form | Palindrome |
Metre | 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 |
Characters | 1,431 |
Words | 130 |
Sentences | 1 |
Stanzas | 1 |
Stanza Lengths | 22 |
Lines Amount | 22 |
Letters per line (avg) | 0 |
Words per line (avg) | 6 |
Letters per stanza (avg) | 0 |
Words per stanza (avg) | 132 |
Font size:
Submitted on March 18, 2016
Modified on March 05, 2023
- 39 sec read
- 2 Views
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Style:MLAChicagoAPA
"ख्वाबों में जीने वालों की यही कहानी" Poetry.com. STANDS4 LLC, 2024. Web. 11 Oct. 2024. <https://www.poetry.com/poem-analysis/92379/%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AF%E0%A4%B9%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80>.
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